अंगदान से जुड़े मिथकों को तोड़ें: जीवन बचाने के तथ्य

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11-11-2024

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    अगस्त 2023 तक, भारत में तीन लाख से अधिक मरीज अंग प्रत्यारोपण के लिए प्रतीक्षा सूची में हैं, जो अंगों की मांग और उपलब्धता के बीच भारी अंतर को दर्शाता है। हर दिन कम से कम 20 लोगों की मृत्यु एक उपयुक्त अंग न मिलने के कारण होती है। खासतौर पर मृतक अंगदान की कमी ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है।

    भारत में, जहां जीवनरक्षक अंग प्रत्यारोपण की अत्यधिक आवश्यकता है, वहां अंगदान से जुड़े गहरे मिथक और गलत धारणाएं इस दिशा में प्रगति में बाधा बनती हैं। ये झूठी मान्यताएं कई लोगों को अंगदाता बनने से रोकती हैं, जिससे जीवन बचाने की संभावना सीमित हो जाती है।

    इन मिथकों को तोड़ना न केवल उन व्यक्तियों के लिए आवश्यक है जो अंगदान पर विचार कर रहे हैं, बल्कि एक ऐसा समाज बनाने के लिए भी जरूरी है जो इस निस्वार्थ कार्य का समर्थन करे। गलत जानकारी को दूर करना और जागरूकता फैलाना इस दिशा में पहला कदम है।

मिथक और तथ्य

    मिथक 1: मैं बहुत बूढ़ा या अस्वस्थ हूं अंगदान के लिए।

    तथ्य: अंगदान के लिए कोई निश्चित आयु सीमा नहीं है। निर्णय आपके अंगों की स्थिति पर निर्भर करता है, न कि आपकी उम्र पर। यहां तक कि जो लोग पुरानी बीमारियों से जूझ रहे हैं, वे भी कुछ अंग या ऊतक दान करने के योग्य हो सकते हैं।

    कई सफल प्रत्यारोपण 50 साल से अधिक उम्र के दाताओं से हुए हैं, कुछ मामलों में 80 साल के दाता भी शामिल हैं। अंगदान के समय चिकित्सा विशेषज्ञ आपके अंगों की स्थिति का आकलन करते हैं और तभी तय करते हैं कि उन्हें प्रत्यारोपण के लिए उपयोग किया जा सकता है या नहीं।

    मिथक 2: अगर मैं पंजीकृत अंगदाता हूं, तो डॉक्टर मुझे बचाने की कोशिश नहीं करेंगे।

    तथ्य: डॉक्टरों का मुख्य उद्देश्य हर मरीज की जान बचाना है। आपका अंगदाता स्टेटस केवल तभी जांचा जाता है जब हर संभव प्रयास के बावजूद आपकी जान बचाना संभव न हो। अंगदान पर विचार केवल तब किया जाता है जब ब्रेन डेड की पुष्टि सख्त चिकित्सा मानदंडों के तहत की जाती है।

    मिथक 3: केवल मृतक ही अंगदान कर सकते हैं।

    तथ्य: जीवित दाताओं की भूमिका अंग प्रत्यारोपण में बेहद महत्वपूर्ण है। खासकर किडनी जैसे अंगों के लिए, जीवित दान की जागरूकता और लोकप्रियता हाल के वर्षों में काफी बढ़ी है।

    जीवित दान का एक बड़ा लाभ यह है कि दान किया गया अंग अधिक समय तक कार्यरत रह सकता है। उदाहरण के लिए, एक मृतक दाता से प्राप्त किडनी आमतौर पर 10-12 साल तक काम करती है, जबकि जीवित दाता से प्राप्त किडनी 15-20 साल या उससे भी अधिक समय तक कार्य कर सकती है।

    मिथक 4: जीवित दाताओं को जीवनभर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

    तथ्य: जीवित दाताओं की पूरी जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सुरक्षित रूप से अंग दान कर सकें। अधिकांश दाता अंगदान के बाद सामान्य और स्वस्थ जीवन जीते हैं।

    मिथक 5: मेरे जीवनशैली विकल्प मुझे अंगदान करने से रोकते हैं।

    तथ्य: धूम्रपान, शराब सेवन, या अन्य जीवनशैली विकल्पों के बावजूद आप दान के योग्य हो सकते हैं। अंगों और ऊतकों की उपयोगिता का निर्धारण हर मामले में अलग-अलग किया जाता है।

अंगदान क्यों महत्वपूर्ण है?

    हर साल, दुनियाभर में लाखों लोग अंग प्रत्यारोपण के इंतजार की सूची में शामिल होते हैं। भारत में हर साल लगभग 5 लाख लोगों को अंग प्रत्यारोपण की जरूरत होती है, लेकिन दान की दर बहुत कम है।

    एक अकेला दाता 8 लोगों की जान बचा सकता है और ऊतक दान के माध्यम से कई अन्य लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।

आप कैसे मदद कर सकते हैं?

  • पंजीकरण करें: अपने स्थानीय अंगदान रजिस्ट्री या सरकार द्वारा अधिकृत संगठनों के माध्यम से पंजीकरण करें।
  • परिवार से बात करें: अपने प्रियजनों को अपने निर्णय के बारे में बताएं ताकि वे आपके अंतिम निर्णय का सम्मान कर सकें।
  • शिक्षा फैलाएं: मिथकों को दूर करने और दूसरों को अंगदान पर विचार करने के लिए सही जानकारी साझा करें।
  • जागरूकता फैलाएं: अंगदान के महत्व को बढ़ावा देने के लिए अभियानों या कार्यक्रमों में भाग लें।

जीवन का उपहार

    अंगदान आशा, करुणा, और मानवता की विरासत है। मिथकों को तोड़कर और तथ्यों को अपनाकर, हम जागरूकता और उदारता की संस्कृति बना सकते हैं। आइए, मिलकर जीवन बचाने का प्रयास करें और स्थायी प्रभाव डालें।

    क्या आप एक जीवनरक्षक बनने के लिए तैयार हैं? आज ही अंगदाता के रूप में पंजीकरण करें।

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